हिमाचल में पहली बर्फ़, इमिड ने 6 अक्टूबर को ऑरेंज अलर्ट जारी

हिमाचल में पहली बर्फ़, इमिड ने 6 अक्टूबर को ऑरेंज अलर्ट जारी

जब हिमाचल प्रदेश ने 6 अक्टूबर 2025 को अपनी सर्दी की पहली बर्फ़ का स्वागत किया, तो इंट्रा‑डेली तापमान में अचानक गिरावट और तेज़ हवाओं ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। इस घटना को सीजन की पहली बर्फ़धौलाधर रेंजेज़ कहा गया। उसी दिन, इंडियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (इमिड) ने छह जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया, जिससे हिचकोले, तेज़ वर्षा, गरज‑बिजली और 40‑50 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं का जोखिम बताया गया।

पहला बर्फ़ और मौसम की स्थिति

धौलाधर की चोटियों पर हल्की बर्फ़ गिरने के साथ, कांगड़ा और चंबा जिलों में रात भर लगातार बारिश हुई। कुछ क्षेत्रों में बर्फ़ और बारिश का मिश्रण देखा गया, जिससे पहाड़ी रास्ते फिसलन भरे हो गए। शिमला, कुफ़्री, जोट, और मुरारी देवी में गड़गड़ाहट वाली गरज‑बिजली की आवाज़ें सुनने को मिलीं, जबकि रेकॉंगपियो, तबो, और कु्कुमसेरी में सन्नीह 30‑61 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं ने पेड़ों को झुका दिया।

स्थानीय मौसम विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र सिंह, मुख्य मौसम विज्ञानी इमिड के कहे हैं कि “हिमाचल में इस समय बर्फ़ का गिरना असामान्य नहीं, परन्तु इतनी तीव्र हवा और भारी वर्षा का समन्वय पहले से ज्यादा जोखिम भरा है।”

इमिड की नारंगी चेतावनी: कारण और विवरण

ऑरेंज अलर्ट में पाँच प्रमुख मौसम खतरों को उजागर किया गया: ओले, भारी‑भारी बारिश, गरज‑बिजली, तेज़ हवाएं, और अचानक तापमान गिराव। चेतावनी के अनुसार, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, सिरमौर, और लाहौल‑स्पीति जिलों में इन घटनाओं की संभावना थी। इमिड ने चेतावनी जारी करने के बाद स्थानीय प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई करने, रोड क्लोजर और आपातकालीन बचाव दल तैनात करने का अनुरोध किया।

ऑरेंज अलर्ट का स्तर ‘रेड’ से एक कदम नीचे रखा गया है, परन्तु इसे हल्का समझकर नहीं लेना चाहिए। इमिड ने कहा, “यदि कोई भी क्षेत्र में ‘रेड’ ट्रिगर हो जाता है, तो तुरंत निकासी और स्थानीय राहत कार्यों को तेज़ करना होगा।”

प्रभावित जिलों में तापमान और हवाओं की रिपोर्ट

  • ताबो में न्यूनतम 3.1 °C, सबसे ठंडा रिकॉर्ड।
  • केयलॉन्ग में 3.6 °C, फिर भी धूसर बादलों के नीचे जंगली हवा चल रही थी।
  • कल्पा और कु्कुमसेरी में 6.2 °C, जबकि कुफ़्री और नरकंदा दोनों ने 10 °C पर स्थिरता दिखायी।

उच्च क्षेत्रों में तापमान शून्य के समीप तक गिरा, जबकि नीची घाटियों में 15‑28 °C के बीच रहने की संभावना है। एक रिपोर्ट के अनुसार, लाहौल‑स्पीति में रात की ठंड के कारण 2 °C तक गिरावट देखी गई।

गुस्ताव हवा 30‑61 किमी/घंटा की रेंज में चल रही थी, जिससे कई गाँवों में टावर और बिजली की लाइनें फट गईं। स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी शिविर स्थापित कर लोगों को आश्रय दिया।

पर्यटन और स्थानीय जीवन पर असर

पर्यटन और स्थानीय जीवन पर असर

हिमाचल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों जैसे धरोहर धौला धाम (धर्मशाला), मलैडगंज, और शिमला इस मौसम में दोधारी तलवार की तरह हैं – एक ओर धुंधली रोशनी और ठंडी हवा से आकर्षित लोग, तो दूसरी ओर अचानक बाढ़ और धूमिल दृश्य से डरते यात्रियों का समूह। स्थानीय होटल और गेस्टहाउस ने कहा कि “अधिकांश बुकिंग cancellations में 20‑30 % तक गिरावट आयी है, परन्तु सफ़रियों को गर्म कंबल और गर्म पेय प्रदान करके हम कुछ राहत दे रहे हैं।”

किसानों को भी इस मौसम के परिवर्तन से कठिनाई झेलनी पड़ रही है। धौला‑धाम में फसल बोने वाले किसानों ने बताया कि “बारिश के कारण जड़ें सॉख गईं, और ठंड की वजह से अंकुरण में देरी हो रही है।” इमिड ने किसान कल्याण विभाग को त्वरित रॉस्पॉन्स देने का सुझाव दिया।

आगे की मौसम भविष्यवाणी और तैयारी

इमिड के नवीनतम मॉडल के अनुसार, अक्टूबर के मध्य तक प्रदेश में औसत तापमान 0‑5 °C के बीच रहेगा, जबकि बड़े हिस्सों में 8‑12 °C की सीमा होगी। अक्टूबर की आधी अवधि में 8‑15 दिन तक हल्की‑मध्यम बारिश की संभावना है, और कहीं‑न कहीं 27‑32 °C के तापमान भी देखे जा सकते हैं, विशेषकर हवाई क्षेत्रों में।

विशेषज्ञ कहते हैं कि “हिमाचल में इस साल शरद में अत्यधिक तापमान अंतराल देखने को मिल रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन के संकेत मिलते हैं।” उन्होंने स्थानीय प्रशासन से “सड़क सुरक्षा, पहाड़ी आपातकालीन रेस्क्यू टीम, और मौसम चेतावनी प्रणालियों को अपडेट रखने” की सलाह दी।

सुरक्षा उपाय और यात्रा सलाह

सुरक्षा उपाय और यात्रा सलाह

इमिड ने यात्रियों को आग्रह किया कि वे:

  1. स्थानीय मौसम अपडेट को रेगुलर फॉलो करें।
  2. हाईवे पर ड्राइविंग के दौरान स्नो‑चेन या टायर चेन का उपयोग करें।
  3. भरोसेमंद होटलों में ठहरें, और अनौपचारिक कैंपिंग से बचें।
  4. पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय गाइड की मदद लें।
  5. आपातकालीन संपर्क (108) को सहेजें।

सुरक्षित यात्रा के लिए स्थानीय प्रशासन ने “भविष्य में प्रति‑दिन दो बार चेतावनी जारी करने” की योजना बनाई है, ताकि लोग समय पर तैयारी कर सकें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ऑरेंज अलर्ट में उल्लेखित चार प्रमुख मौसम खतरे क्या हैं?

इमिड ने ओले, भारी‑भारी बारिश, गरज‑बिजली और 40‑50 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं को प्रमुख खतरे बताया है। इनमें से प्रत्येक का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है, जैसे ओले से बायो‑इमारतों को नुकसान, बारिश से जलभराव, और तेज़ हवा से पेड़ गिरना या बिजली कटौती।

किसी दो जिलों में इस बर्फ़ और बारिश के कारण क्या खास बदलाव हुए?

कांगड़ा में बर्फ़ के साथ तेज़ बारिश ने कई ग्रामीण मार्गों को बंद कर दिया, जबकि लाहौल‑स्पीति में तापमान 3 °C तक गिरकर पर्यटन केंद्रों में कवायद (सुरक्षित) यात्रा हेतु अतिरिक्त हेलीकॉप्टर रेज़रवेशन की जरूरत पड़ी।

पर्यटकों को वर्तमान में कौन‑सी सबसे बड़ी सावधानी बरतनी चाहिए?

भारी हवाओं और अचानक बाढ़ से बचने के लिए ट्रैक्ड रूट्स पर चलना, हाईवे पर स्पीड कम रखना, और स्थानीय मौसम एजेंसियों के अलर्ट को निरन्तर मॉनिटर करना आवश्यक है। साथ ही, गर्म कपड़े और आपातकालीन किट साथ ले जाना चाहिए।

क्या इस मौसम में कृषि क्षेत्र को कोई विशेष मदद मिलने की संभावना है?

हिमाचल सरकार ने पहले ही कांगड़ा और मंदी जिलों में जल संरक्षण योजना को तेज़ किया है, और इमिड ने किसानों को समय‑समय पर फसल सुरक्षा उपायों और बाढ़‑रोधी तकनीकों के बारे में सलाह देने का आश्वासन दिया है।

अक्टूबर 2025 के बाकी महीने में मौसम कैसे बदल सकता है?

इमिड के मॉडल के अनुसार, अगले दो‑तीन हफ्तों में तापमान में थोड़ी वृद्धि हो सकती है, परन्तु हल्की‑मध्यम बारिश के साथ स्थिर ठंड बनी रहेगी। इसलिए यात्रियों को अनुशंसा की जाती है कि वे जलरोधक कपड़े और गर्म जूते साथ रखें।