ICC ने भारत-पाकिस्तान मैचों को ग्रुप स्टेज से हटा दिया, एशिया कप के विवादों के बाद

ICC ने भारत-पाकिस्तान मैचों को ग्रुप स्टेज से हटा दिया, एशिया कप के विवादों के बाद

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने भारत और पाकिस्तान के बीच के मैचों को अगले सभी टूर्नामेंट्स के ग्रुप स्टेज से हटाने का ऐतिहासिक फैसला किया है। यह बदलाव 24 नवंबर, 2025 को घोषित किया गया, जिसका पहला प्रभाव 15 जनवरी से 6 फरवरी, 2026 तक ICC यू-19 क्रिकेट वर्ल्ड कपनामीबिया और जिम्बाब्वे में खेले जाने वाले युवा टूर्नामेंट में दिखेगा। दोनों टीमें अब अलग-अलग समूहों में रखी जाएंगी, ताकि ग्रुप स्टेज में उनका मुकाबला न हो सके। यह फैसला दुबई में आयोजित एशिया कप 2025 के बाद लिया गया, जहां खेल के बाहर भी तनाव इतना बढ़ गया कि खेल का मूल उद्देश्य भूल जाने का खतरा बन गया।

एशिया कप के विवाद: जब क्रिकेट बन गया राजनीति का प्रतीक

9 अगस्त, 2025 को शुरू हुए एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच तीन मैच हुए — सभी भारत ने जीते। लेकिन जीत की खुशी के बजाय, खेल के बाहर के विवादों ने सबको चौंका दिया। 14 सितंबर, 2025 को मैच के बाद भारत के कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ हाथ मिलाने से इंकार कर दिया। यह घटना पाकिस्तान के कोच माइक हेसन के लिए एक झटका था। उन्होंने कहा, 'जब दोनों देशों के रिश्ते बहुत खराब थे, तब भी हम हाथ मिलाते थे।' इसके बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने औपचारिक शिकायत दर्ज की।

फिर आया सुपर फोर मैच। पाकिस्तान के गेंदबाज हरिस राउफ ने एक छह-शून्य का जीत का जश्न मनाया, जबकि साहिबजादा फरहान ने गनशूट का नाटक किया। दोनों को आईसीसी ने जुर्माना लगाया। लेकिन सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब आईसीसी के मैच रेफरी एंडी पाइक्रॉफ्ट के साथ भारतीय टीम के बीच गलतफहमी हुई। पाकिस्तानी टीम ने उन्हें टूर्नामेंट से हटाने की मांग की और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के खिलाफ अपना मैच खेलने से इंकार कर दिया। मैच एक घंटे से अधिक देर से शुरू हुआ। बाद में पाइक्रॉफ्ट ने टीम के साथ बातचीत कर गलतफहमी को स्वीकार किया।

ट्रॉफी लेने से इंकार: एक और अनोखा विवाद

भारत ने एशिया कप की ट्रॉफी पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री मोहसिन नकवी से नहीं ली, जो एक ही समय में PCB और एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) के अध्यक्ष भी हैं। यह एक सांकेतिक कदम था — खेल के बाहर की राजनीति का एक अभिव्यक्ति। इस घटना ने भारतीय और पाकिस्तानी दर्शकों के बीच आमने-सामने के भावनात्मक टकराव को और गहरा कर दिया।

आईसीसी का तर्क: खेल को राजनीति से अलग करना

आईसीसी ने इस फैसले के पीछे कई कारण बताए हैं। पहला — सुरक्षा। हर भारत-पाकिस्तान मैच के लिए सुरक्षा बलों को अत्यधिक तनाव में डालना पड़ता है। दूसरा — सोशल मीडिया पर नफरत का तूफान। ट्विटर, यूट्यूब और व्हाट्सएप पर इन मैचों के बाद घृणा भरे वीडियो, झूठे खबरें और आपराधिक धमकियां फैल जाती हैं। तीसरा — खिलाड़ियों का मानसिक दबाव। एक बार एक खिलाड़ी ने अपने बच्चे को खेल के बाद डर के मारे रोते देखा।

लेकिन सबसे बड़ा कारण है — टूर्नामेंट का संतुलन। अब तक, जब भी भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में थे, तो पूरा टूर्नामेंट उन दोनों के बीच के मैच के चारों ओर घूमता था। अन्य मैच बोरिंग लगने लगे। आईसीसी चाहता है कि हर मैच बराबर महत्व रखे।

आर्थिक बड़ा झटका, लेकिन जरूरी

आर्थिक बड़ा झटका, लेकिन जरूरी

यह फैसला आर्थिक रूप से बड़ा झटका है। 2023-27 के ब्रॉडकास्ट अधिकारों के लिए आईसीसी ने लगभग $3 बिलियन की राशि प्राप्त की — और उसमें से एक बड़ा हिस्सा भारत-पाकिस्तान के मैचों से आता था। केविन एथरटन, द टाइम्स के स्तंभकार, लिखते हैं, 'यह मैच अकेला ही ऐसा है जो बिना किसी रुचि के भी टीवी चैनलों को जोड़ देता है।' लेकिन उन्होंने यह भी कहा — 'इसकी अधिक बार आयोजित होने की वजह से नहीं, बल्कि इसकी कम आयोजित होने की वजह से ही इसकी कीमत इतनी बढ़ गई है।' अब आईसीसी ने यह फैसला लिया है कि अगर एक मैच के लिए दुनिया की आंखें बंधी रहेंगी, तो बाकी सब कुछ अनदेखा हो जाएगा। यह अन्य टीमों के लिए अन्याय है।

अतीत और भविष्य: एक नई नीति का जन्म

2013 के बाद से, भारत और पाकिस्तान हर आईसीसी टूर्नामेंट में आमने-सामने आए हैं — विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी, यू-19 वर्ल्ड कप। लेकिन अब यह एक परंपरा बन गई है जिसे बदलने की जरूरत है। यह सिर्फ एक खेल का मुद्दा नहीं है — यह दो देशों के बीच के तनाव का प्रतिबिंब है।

अगले दो साल में, भारत और पाकिस्तान के बीच केवल दो मैच हो सकते हैं — अगर दोनों टीमें फाइनल में पहुंच जाएं। और यह भी निश्चित नहीं है। आईसीसी ने कहा है कि यह नीति अगले तीन टूर्नामेंट्स के लिए लागू होगी। यह एक बड़ा बदलाव है। अब तक आईसीसी ने इन मैचों को बढ़ावा दिया। अब वह उन्हें रोक रहा है।

क्या अब भी ये मैच होंगे?

क्या अब भी ये मैच होंगे?

हां, लेकिन बहुत कम। अगर दोनों टीमें फाइनल में पहुंच जाएं, तो वहां मुकाबला हो सकता है। लेकिन अब ग्रुप स्टेज में नहीं। इसका मतलब है कि एक टीम को फाइनल तक पहुंचने के लिए अन्य टीमों को हराना होगा — न कि बस भारत-पाकिस्तान के बीच एक मैच जीतकर।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या भारत और पाकिस्तान के बीच अब कभी मैच नहीं होंगे?

नहीं, बस ग्रुप स्टेज में नहीं। अगर दोनों टीमें फाइनल तक पहुंच जाएं, तो वहां मुकाबला हो सकता है। इसका मतलब है कि अब टूर्नामेंट का अंतिम चरण तक पहुंचने के लिए दोनों को अन्य टीमों को हराना होगा — जिससे टूर्नामेंट का बराबर बल बना रहेगा।

इस फैसले से टीवी रेटिंग्स प्रभावित होंगी?

हां, लेकिन शायद कम ज्यादा। भारत और पाकिस्तान के बीच के मैचों की टीवी रेटिंग्स लगभग 200-300 मिलियन दर्शकों तक पहुंच जाती हैं। लेकिन आईसीसी का मानना है कि अगर दूसरे मैच भी अच्छे खेले जाएं, तो दर्शकों का ध्यान अन्य टीमों की ओर भी जाएगा। अब तक, बाकी सब कुछ 'अन्य मैच' बन गया था।

क्या इस फैसले का असर भारतीय और पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर पड़ेगा?

हां, बहुत। खिलाड़ियों को अब अपने देश के नाम के बजाय अपने खेल के नाम पर जीतना होगा। जब एक मैच में आधे देश की उम्मीदें लगी होती हैं, तो दबाव बहुत ज्यादा होता है। अब वह दबाव कम होगा, और खिलाड़ी अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।

क्या यह फैसला स्थायी है?

आईसीसी ने इसे अगले तीन टूर्नामेंट्स के लिए लागू किया है। लेकिन अगर राजनीतिक तनाव कम हो जाए और खेल का वातावरण सुधर जाए, तो यह नीति बदली जा सकती है। इसका निर्णय भविष्य के टूर्नामेंट्स के लिए टीमों के व्यवहार पर निर्भर करेगा।

क्या इस फैसले से भारत या पाकिस्तान को नुकसान हुआ?

आर्थिक रूप से नुकसान हुआ है, लेकिन भावनात्मक रूप से दोनों देशों के लिए लाभ हुआ है। खिलाड़ियों को अब राजनीतिक दबाव से आजादी मिली है। अब वे खेल से जुड़े रह सकते हैं — बिना देश के नाम के बोझ के।

क्या यह फैसला दूसरे देशों के लिए एक मिसाल हो सकता है?

बिल्कुल। अगर किसी देश में खेल और राजनीति इतने घुले मिले हों, तो खेल के नियामक इसी तरह का कदम उठा सकते हैं। यह एक ऐसा मॉडल है जो अन्य खेलों में भी अपनाया जा सकता है — जहां राष्ट्रीय तनाव खेल के वातावरण को बर्बाद कर रहा हो।