पक्षपात – जब खबरें झुकीं और हमें कैसे बचें

हर रोज़ हम कई वेबसाइट, टीवी या सोशल प्लेटफ़ॉर्म से खबरें पढ़ते हैं। लेकिन क्या आप कभी ध्यान देते हैं कि वही खबर कई जगह अलग‑अलग दिखती है? यही है "पक्षपात" – जानकारी को एक तरफ से प्रस्तुत करना, जिससे पाठक की राय को मोड़ दिया जाता है। अगर आप इस जाल को पहचान लेंगे तो आप सच्ची खबरों तक आसानी से पहुँच पाएंगे।

मीडिया में किस तरह का पक्षपात दिखता है?

सबसे आम पक्षपात है चयनात्मक कवरेज – पत्रकार कुछ तथ्य चुनते हैं और बाकी को छोड़ देते हैं। उदाहरण के लिए, एक बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान केवल विरोध की आवाज़ें दिखाना, जबकि कई समर्थन करने वाले लोगों को नहीं दिखाना, यही पक्षपात बनता है।

दूसरा है भाषाई पक्षपात। शब्दों का चुनाव ही राय बदल सकता है। "नीति विफल" बनाम "नीति चुनौती" पढ़ने वाले को अलग‑अलग भाव देता है। इसी तरह छवि चयन – किसी व्यक्ति की फोटो को चमकीला या धुंधला दिखाना, भावनात्मक प्रतिक्रिया को प्रभावित करता है।

अंत में आलग‑अलग प्लेटफ़ॉर्म पर एक ही खबर के विभिन्न शीर्षक देखे जा सकते हैं। ट्विटर पर छोटा, चतुरिया शीर्षक और समाचार साइट पर लंबा, विशद सारांश – दोनों ही पाठक के दिमाग में अलग‑अलग प्रभाव डालते हैं।

पक्षपात से बचने के सरल कदम

पहला कदम है स्रोतों की तुलना करना। दो‑तीन अलग‑अलग माध्यम से एक ही ख़बर पढ़ें। अगर सभी में समान जानकारी हो तो संभावना है कि वह सच्ची है।

दूसरा, लेख के भाषा पर ध्यान दें। अगर शब्द बहुत भावनात्मक या तांत्रिक लगें, तो संकेत हो सकता है कि लेखक कुछ बख़्श रहा है।

तीसरा, तथ्य‑जाँच साइट्स का उपयोग करें। कई भरोसेमंद प्लेटफ़ॉर्म झूठी या अर्धसत्य खबरों को फ्लैग कर देते हैं।

अंत में, स्वयं के सवाल पूछें: क्या यह खबर मेरे मौजूदा विश्वास को पुष्ट करती है? अगर हाँ, तो दोबारा जाँच करना फायदेमंद रहेगा।

इन छोटे‑छोटे उपायों से आप रोज़मर्रा की खबरों में मौजूद पक्षपात को आसानी से पहचान सकते हैं और सच्ची जानकारी पर भरोसा रख सकते हैं। याद रखें, मीडिया का काम जनता को सूचित करना होना चाहिए, न कि उसकी राय को मोड़ना। यदि आप सतर्क रहें तो आप न केवल खुद को, बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी सही जानकारी से जोड़ पाएँगे।

क्या ऑस्ट्रेलियाई मीडिया पक्षपाती है?
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क्या ऑस्ट्रेलियाई मीडिया पक्षपाती है?

अरे वाह, ऑस्ट्रेलियाई मीडिया पक्षपाती है क्या? यह सवाल तो मेरा दिमाग चक्कर खा रहा है, जैसे कि क्रिकेट की गेंद को शेन वार्न ने स्पिन दिया हो! दोस्तों, मैंने इस मुद्दे पर बहुत संशोधन किया और मुझे लगता है कि हां, कुछ हद तक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया पक्षपाती हो सकती है, पर यह तो दुनिया भर के मीडिया पर लागू होता है ना? लेकिन ये तो मेरा मनोरंजन करने का एक तरीका है, अगर आपको और गहराई से जानना है तो खुद तहकीकात करें। चलो, अब मैं अपने बिल्ली ब्रूसी के साथ खेलने जा रहा हूं, वो अभी तक मुझे उसकी खुजली होने की वजह से देख रही है!

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