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जनता के राष्ट्रपति, Bharat Ratna डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यत‍िथ‍ि आज #apj

President of the public, Bharat Ratna, Dr. APJ Abdul Kalam's death anniversary todayदैनिक समाचार आगरा मीडिया 

दैनिक समाचार आगरा मीडिया :भारत माँ के सपूत, मिसाइल मैन, राष्ट्र पुरुष, राष्ट्र मार्गदर्शक, महान वैज्ञानिक, महान दार्शनिक, सच्चे देशभक्त ना जाने कितनी उपाधियों से पुकार जाता था Bharat Ratna डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम जी को वो सही मायने में भारत रत्न थे। इन सबसे भी बढ़कर डॉ. अब्दुल कलाम एक अच्छे इंसान थे। जिन्होंने जमीन से जुड़े रहकर ‘‘जनता के राष्ट्रपति’’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनायी थी। एक ऐसे इंसान जो बच्चे, युवाओं, बुजुर्गों सभी के बीच में लोकप्रिय थे। देश का हर युवा, बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता था, देश का हर युवा डॉ. कलाम बनना चाहता था।
आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रत्येक वैज्ञानिक, इंजीनियर और तकनीशियन भारत रत्न डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम जी को अपना आदर्श मानते है तभी वो डॉ. कलाम जैसे महान वैज्ञानिक के आदर्शों और पद-चिन्हों पर चलकर चंद्रयान-२ का सफल प्रक्षेपण कर पाए। डॉ. कलाम का जीवन हमेशा प्रेरणा देने वाला रहा है। डॉ. कलाम ने इसरो को नयी उंचाईओं तक पहुँचाया साथ ही साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को आधुनिक तकनीकों से भी परिचित कराया, तभी आज भारत का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसिओं में अग्रणी भूमिका में खड़ा है। आज भारत देश कम खर्चे पर अच्छे-अच्छे अंतरिक्ष अभियानों को सफलतम अंजाम दे रहा है। आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की उपलब्धियां देखकर मिसाइलमैन डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम जी की पवित्र आत्मा स्वर्ग में बैठकर बहुत प्रसन्न हो रही होगी।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गाँव में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में हुआ। डॉ. कलाम की प्रसिद्धि, महानता, युवा सोच और आजीवन शिक्षक की भूमिका में रहने की वजह से सयुक्त राष्ट्र संघ ने उनके सम्मान में सन् 2010 में उनके जन्मदिवस 15 अक्टूबर को विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। डॉ. कलाम बच्चों से बहुत प्यार करते थे। स्कूली बच्चों को उनके जीवन से प्ररेणा मिले, इसी उद्देश्य से उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में सयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मनाने का निर्णय लिया गया था। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी के पिता का नाम जैनुलाब्दीन था। पिता जैनुलाब्दीन न तो ज्यादा पढ़े-लिखे थे, और उनकी आर्थिक हालत भी अच्छी नहीं थी। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी की माता का नाम अशिअम्मा जैनुलाब्दीन था। जो कि एक गृहणी थीं। माता-पिता के संस्कार और उनकी कठिन परिश्रम की आदत ने ही उन्हें इतना महान बनाया। डॉ. कलाम के पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे और एक स्थानीय मस्जिद के इमाम भी थे। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। डॉ. अब्दुल कलाम जी पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। बेशक उनके पिता पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लग्न, परिश्रम और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के लिए जीवन में बहुत काम आए। डॉ. अब्दुल कलाम जी को अपनी फीस भरने के लिए बचपन में अखबार तक बेचना पड़ा था। डॉ. कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद डॉ. कलाम ने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) में प्रवेश लिया। इसके बाद डॉ. अब्दुल कलाम 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में आये जहाँ उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत, सूझबूझ और आसमान छू लेने वाली लग्न और स्वप्न ने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी महत्ती भूमिका निभाई। डॉ. कलाम के बतौर परियोजना निदेशक रहते देश का पहला स्वदेशी उपग्रह एसएलवी-3 जुलाई 1980 को लांच किया था। इस लांचर के माध्यम से रोहिणी उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया गया। डॉ कलाम ने कई साल इसरो में परियोजना निदेशक के रूप में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को काफी आगे बढ़ाया। डॉ. कलाम अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ को दिया करते थे। वे कहते थे कि माँ ने उन्हें अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा प्रदान की। उनका कहना था कि अगर उनकी जिन्दगी में माँ नहीं होती तो वो इतना सफल कभी नहीं बन पाते। अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ डॉ. कलाम को जाता है। डॉ. कलाम ने त्रिशूल, आकाश, नाग जैसी ताकतवर मिसालें बनायीं। डॉ. कलाम ने भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल कार्यक्रम को काफी उंचाईओं तक पहुँचाया। एक समय ऐसा था जा जब डॉ. कलाम देश के पहले रॉकेट को साइकिल पर लादकर प्रक्षेपण स्थल पर ले गए थे। जिसके लिए नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया गया था। इस मिशन का दूसरा रॉकेट काफी बड़ा और भारी था, जिसे बैलगाड़ी के सहारे प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया था। डॉ. कलाम सहित देश के महान वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के बदौलत ही देश इसरो की स्थापना के दो दशकों के अंदर ही अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन सका। डॉ. कलाम 1992 से 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव रहे। डॉ. कलाम कि देखरेख में ही भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और भारत देश परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ। डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम जी को देश के प्रति उनके योगदान के लिए 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया। इसके बाद डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम 2002-2007 तक देश के राष्ट्रपति रहे।
हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी का सम्पूर्ण जीवन देश सेवा में बीता। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को साल 2002 में सर्वसम्मति से पक्ष और विपक्ष की प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस सहित दर्जनों दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया। डॉ. कलाम को राष्ट्रपति बनाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के पास प्रस्ताव लेकर गए, जिसका उन्होंने पूर्ण रूप से समर्थन किया। नतीजतन देश की प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस सहित दर्जनों दलों ने एकमत से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी का नामांकन कराया और नतीजों में भी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी 90 प्रतिशत के आसपास मतों से जीतकर देश के 11वें राष्ट्रपति बने और पूरे पांच साल उनका कार्यकाल शानदार रहा। इसके बाद डॉ. कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर व भारतीय विज्ञान संस्थान,बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए। राष्ट्रपति कार्यालय से मुक्ति के बाद डॉ. कलाम अंतिम सांस तक शिक्षक की भूमिका में रहे। जिससे देश के युवाओं को काफी कुछ सीखने को मिला। 27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम आईआईटी शिलोंग में ‘‘रहने योग्य ग्रह’’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार दिल का दौरा पड़ा और व्याख्यान देते-देते बेहोश हो कर गिर पड़े। गंभीर हालत में डॉ. कलाम को बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद डॉक्टरों ने उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी। डॉ. कलाम जाते-जाते देश के लिए और देश की भावी पीढ़ियों के अपनी शिक्षाएं छोड़ कर गए।
डॉ. कलाम देश के पहले कुंवारे राष्ट्रपति थे। बेशक डॉ. कलाम कुंवारे थे लेकिन देश का हर युवा उनकी संतान की तरह था। देश के करोङो बच्चे और युवा उनकी संतान थे। डॉ कलाम का बच्चों और युवाओं के प्रति खास लगाव था। इसी लगाव के कारण मिसाइल मैंन बच्चों और युवाओं के दिल में खास जगह बनाते थे। डॉ. कलाम ने देश में मिसाइलों का निर्माण कर भारत की सुरक्षा को नए आयाम दिए। उन्होंने अपनी मिसाइलों द्वारा पाकिस्तान और चीन को अपनी जद में ला दिया। उन्ही की वजह से आज कोई भी देश भारत को आँख दिखाने से पहले दस बार सोचता है। यह डॉ. कलाम की ही दृढ इच्छाशक्ति थी जिन्होंने अत्याधुनिक रक्षा तकनीक की भारत की चाह को साकार किया। चाहें परमाणु हथियार हों, चाहें देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम हो, चाहें बैलेस्टिक मिसाइल परियोजना, या लड़ाकू विमान परियोजना में उनके अतुलनीय योगदान ने उनके नाम को हर भारतीय की जुबां पर ला दिया। और उन्हें देश का हीरो बना दिया।
डॉ. कलाम की बातें और विचार सदां तर्कपूर्ण होते थे और उनके विचारों में जवान सोच झलकती थी। यही झलक उन्हें युवाओं में लोकप्रिय बनाती थी। डॉ. कलाम कहते थे कि ‘सपने वो नहीं होते जो रात को सोने समय नींद में आये, सपनें वो होते हैं जो रातों में सोने नहीं देते’ और हमेशा से लोगों से कहते थे कि सपने देखो और वो भी ऊँचे सपने देखो और तब तक देखते रहो जब तक कि वो पूरे न हों। डॉ. कलाम सादा जीवन, उच्च विचार तथा कङी मेहनत में विश्वास करते थे और उन्होंने इन्हीं बातों को अपने जीवन में उतारा और बुलंदियों तक पहुंचे। डॉ. कलाम अपने जीवन को बहुत अनुशासन में जीते थे. शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों में से थे। कहा जाता है कि वह कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे, डॉ. कलाम हर धर्म में विश्वास करते वाले थे और वे हर धर्म के धर्मगुरुओं से मिलते थे। डॉ कलाम ने एक मुस्लिम परिवार में जन्म लिया लेकिन वो हिन्दू धर्म में भी उतनी ही आस्था रखते थे जितनी कि मुस्लिम धर्म में।
डॉ. कलाम जी का सिध्दांत था कि जो लोग जिम्मेदार, सरल, ईमानदार एवं मेहनती होते हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है। क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं। उनका यह सिध्दांत उन्ही पर लागू होता था, क्योंकि डॉ कलाम वास्तव में एक सरल, ईमानदार और मेहनती व्यक्ति थे और ईश्वर द्वारा धरती पर के गयी श्रेष्ठ रचना थे और उनके जाने बाद ईश्वर के यहाँ भी उन्हें वही सम्मान मिलेगा जो उन्हें इस धरती पर मिला। डॉ. कलाम हमेशा कहते थे कि किसी के जीवन में उजाला डालो वास्तव में डॉ. कलाम भारत देश के लोगों के जीवन में अपनी महान उपलब्धियों और अपने विचारों का ऐसा उजाला डाल कर गए हैं जो कि देश के नौजवानों को सदां राह दिखाते रहेंगे। डॉ. कलाम सदां मुस्कराहट का परिधान पहने रहते थे उनकी मुस्कराहट उनकी आत्मा के गुणों को दर्शाती थी उनकी आत्मा सच में एक पवित्र आत्मा थी जिसे दैवीय शक्ति प्राप्त थी। डॉ. कलाम की ईमानदारी, शालीनता, सादगी और सौम्यता हर किसी का दिल जीत लेती थी। उनके जीवन दर्शन ने भारत के युवाओं को एक नई प्रेरणा दी। डॉ. कलाम करोङो लोगों के रोल मॉडल हैं। डॉ. कलाम सही मायनों में कर्मयोगी थे, कर्मयोगी शब्द का उदाहरण यदि भारत देश में है तो डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम जी का नाम अग्रिम पंक्ति में लिखा है।
लेखक: ब्रह्मानंद राजपूत___________________________________________________________________________दैनिक समाचार आगरा मीडिया  आगरा के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल agramedia.in की हिंदी वेबसाइट है l आप अपनी राय,सुझाव,ख़बरें हमें [email protected] पर भेज सकते हैं । 
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