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पंजाब में मंत्रियों ने मुख्य सचिव के खिलाफ शिकायत का मामला मुख्यमंत्री पर छोड़ा

चंडीगढ़ । कोविड-19 संकट और लम्बे समय से लगाए गए लॉकडाउन के कारण शराब कारोबार पर पड़े प्रभाव के चलते राज्य की आबाकारी नीति में संशोधन के मामले पर अगली कार्यवाही करने के लिए पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों ने सोमवार को मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया।

आबकारी नीति पर चर्चा के लिए हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग में सभी मंत्रियों की इस बात पर सहमति बनी कि शराब के लाइसेंस धारकों की चिंता दूर करने के लिए राज्य के बड़े हित में कोई भी फैसला लेने का अधिकार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह पर छोड़ देना चाहिए।
शराब की होम डिलिवरी बारे मामला विचारा गया परन्तु कुछ मंत्रियों की तरफ से इस बारे में अपने अंदेशे जाहिर किये गए। इस मामले संबंधी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया। मुख्यमंत्री की तरफ से इस मामले पर अगले कुछ दिनों में फैसला लेने की संभावना है।

इससे पहले मीटिंग की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को कहा कि कुछ मंत्रियों की तरफ से मुख्य सचिव करण अवतार सिंह के खिलाफ शिकायत का मामला उनके ध्यान में आया है। संयोगवश मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री की आज्ञा के साथ आधे दिन की छुट्टी ली थी और वह की मीटिंग में उपस्थित नहीं थे।
मनप्रीत सिंह बादल और चरनजीत सिंह चन्नी ने मंत्रीमंडल की मीटिंग में मुद्दा उठाते हुए मुख्य सचिव के व्यवहार पर नाराजग़ी जाहिर करते पूरी तरह अनुचित और अस्वीकार्य कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह उनकी शंकाओं से भलीभांति परिचित हैं और वह इस मामले को देखेंगे जिसके बाद नाराज मंत्रियों ने सारा मामला मुख्यमंत्री पर छोड़ दिया 

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