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पंजाब में अब मज़दूरों की कमी, धान की बिजाई और पनीरी की बिजाई का समय 10 दिन आगे किया

चंडीगढ़ । किसानों द्वारा मज़दूरों की कमी के सम्बन्ध में ज़ाहिर की गई चिंताओं पर कार्यवाही करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने धान की बिजाई और पनीरी की बिजाई का समय 10 दिन आगे करने का एलान किया है।
धान की पनीरी की बिजाई अब 10 मई से और धान की बिजाई 10 जून से शुरू होगी जबकि इससे पहले कृषि विभाग ने पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की सिफारिशों पर मौजूदा $खरीफ की फ़सल के सीजन के दौरान पनीरी बीजने की शुरुआत करने के लिए 20 मई और धान की बिजाई के लिए 20 जून की तारीख निश्चित थी।
कोविड के संकट के मद्देनजऱ प्रवासी मज़दूरों द्वारा अपने घरों को वापसी करने के साथ मज़दूरों की कमी के कारण किसानों ने धान की बिजाई की ज़रूरतों की पूर्ति के लिए अपनी चिंताएं ज़ाहिर की थीं। इन चिंताओं को भली भाँति समझते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि धान की बिजाई का समय आगे करना किसानों के हित में होगा।
धान की सीधी बिजाई के आधुनिक अमल के साथ-साथ धान की बिजाई की मशीनी तकनीकों को अपनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) विसवाजीत खन्ना को हुक्म दिए कि किसानों को हरेक तरह की तकनीकी सहायता मुहैया करवाने के लिए कृषि विभाग के स्टाफ की सेवाएं ली जाएँ। उन्होंने कहा कि धान की बिजाई और सीधी बिजाई की मशीनरी को प्रभावी ढंग से प्रयोग में लाने के लिए किसानों की मदद की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह प्रगतिशील प्रौद्यौगिकी मज़दूरों की कमी से पैदा हुए हालातों से निपटने में बहुत सहायक होगी।
धान की समय पर बिजाई को यकीनी बनाने के ख़ातिर किसानों को हर तरह का सहयोग देने के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा पंजाब राज्य पावर कॉर्पोरेशन लिमिटड को इस समय के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए निर्विघ्न बिजली सप्लाई की सुविधा के लिए ज़रूरी प्रबंध करने के लिए हिदायतें दी गई हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) के अनुसार, क्योंकि किसान कम समय में तैयार होने वाली किस्मों को अपनाते हैं जो 100 दिनों में पक कर तैयार हो जाती हैं और धान की बिजाई मध्य जून से पहले होने के स्वरूप धान की फ़सल पहले तैयार हो जायेगी, जिस कारण सितम्बर के दूसरे अर्ध तक जाने वाली मॉनसून की अनिश्चित प्रस्थितियों का भी फ़सल पर प्रभाव हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा धान की जल्द बिजाई से भूजल के पहले से ही घट रहे स्तर पर और भी प्रभाव पड़ सकता है।
खन्ना ने कहा कि यह भी संभावना है कि स्थानीय कामगार भी धान की बिजाई के काम के लिए आगे आ सकते हैं, जैसे कि गेहूँ के खऱीद कार्यों के दौरान देखा गया था।

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