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राजस्थान में बनेगा लेबर एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज, क्या रहेगा खास, यहा पढ़ें

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुई स्थितियों को देखते हुए प्रदेश में ऑनलाइन ‘लेबर एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज‘ बनाया जाए, ताकि लॉकडाउन के कारण संकट का सामना कर रहे श्रमिकों को उनके कौशल के अनुरूप रोजगार मिल सके और उद्योगों को उनकी जरूरत के मुताबिक श्रमिक उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आने वाले एवं जाने वाले श्रमिकों तथा संनिर्माण श्रमिकों की ऑनलाइन मैपिंग की जाए।


गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से श्रम विभाग की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आपदा के इस दौर में श्रमिकों को संबल देना हमारा दायित्व है। इसे लेकर राज्य सरकार चिन्तित है। दूसरी तरफ उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है। श्रम विभाग की इसमें बड़ी भूमिका है। विभाग इसके लिए वे सभी प्रयास करे, जिनसे पीड़ा झेल रहे इन श्रमिकों को जल्द से जल्द राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि स्किल डवलपमेंट के नए प्रोजेक्ट डिजाइन किए जाएं, जिनसे वर्तमान जरूरतों के मुताबिक श्रमिकों का कौशल विकास हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में राजस्थान में प्रवासी श्रमिक आए हैं और यहां से श्रमिक अन्य राज्यों में गए हैं। श्रम विभाग आने वाले श्रमिकों की योग्यता एवं उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करे, ताकि ये श्रमिक उद्यमों में नियोजित होकर अपनी आजीविका अर्जन कर सकें। साथ ही श्रमिकों की अनुपलब्धता के कारण बंद बड़ी औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू हो सके।

गहलोत ने कहा कि लॉकडाउन के कारण उद्योग जगत का पूरा परिदृश्य बदल गया है। साथ ही श्रमिकों के नियोजन की एक बड़ी चुनौती हमारे सामने है। ऐसे में समय की जरूरत के अनुसार श्रम कानूनों में परिवर्तन और सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप श्रमिकों के हित में श्रम कानूनों में यथासम्भव सुधार करने पर जोर दिया। उन्होंने श्रम विभाग की ज्यादा से ज्यादा योजनाओं एवं कार्यक्रमों को ऑनलाइन किए जाने के निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रवासी राजस्थानी श्रमिकों के कल्याण के लिए बजट में घोषित ‘प्रवासी राजस्थानी श्रमिक कल्याण कोष‘ के गठन को भी मंजूरी प्रदान की। उन्होंने कहा कि इस कल्याण कोष के माध्यम से प्रवासी राजस्थानी श्रमिकों को उनकी जरूरत के अनुरूप आवश्यक मदद प्रदान की जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गरीब, जरूरतमंद एवं श्रमिकों के कल्याण के लिए जो भी योजनाएं संचालित हैं, मुसीबत के इस समय में उनके माध्यम से हरसम्भव सहायता सुनिश्चित की जाए। श्रम विभाग भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार यह भी सुनिश्चित करे कि कोई उद्यमी श्रमिकों को नहीं हटाए और उनका वेतन नहीं काटे।

गहलोत ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि विदेश से फ्लाइट के माध्यम से आने वाले हर यात्री का पीसीआर टेस्ट किया जाए, ताकि संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहे। उन्होंने कहा कि विदेशों से दिल्ली आने वाले राजस्थान के यात्रियों को जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर एवं अजमेर लाकर भी उनके स्वयं के खर्चे पर क्वारेंटीन किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि निर्माण कार्य बंद होने से बड़ी संख्या में निर्माण श्रमिक बेरोजगार हुए हैं, श्रम विभाग इन्हें वापस रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करे। उन्होंने कहा कि विभिन्न उद्योगों के लिए श्रमिकों की उपलब्धता बेहद जरूरी है, ताकि सप्लाई चैन नहीं टूटे।
शासन सचिव श्रम नीरज के पवन ने बताया कि अब तक करीब 6 लाख श्रमिक राजस्थान आ चुके हैं और करीब एक लाख 35 हजार श्रमिक राजस्थान से जा चुके हैं। श्रम विभाग इनका डाटाबेस तैयार करवा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की मैपिंग का कार्य पूरा होने के बाद राज्य आजीविका विकास निगम के माध्यम से इनका कौशल विकास करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि विगत वर्षों में विभाग द्वारा प्रशिक्षित करीब 4 लाख लोगों की सूची उद्योग एवं स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करवाई गई है, ताकि उन्हें आवश्यकता के अनुरूप नियोजित किया जा सके।


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