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CAA: आगरा में भाजपा की रैली, 'नागरिकता' पर भ्रम दूर करेंगे जेपी नड्डा और सीएम योगी


भाजपा की रैली का मंच न्यूज डेस्क  आगरा मीडिया  ::.भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जगत प्रकाश नड्डा आज आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थन में आयोजित रैली से पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर अपनी सियासी पारी की शुरुआत करेंगे। रैली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के कई दिग्गज भी शामिल होंगे। 
राजनाथ सिंह जैसे उत्तर प्रदेश के नेताओं को छोड़ दें और दूसरे प्रदेशों के उन अन्य लोगों को भी अलग कर दें जो इस समय प्रदेश के कोटे से सांसद व मंत्री हैं तो बीते पांच साल में नड्डा ऐसे तीसरे नेता हैं जो बतौर भाजपा के नेतृत्वकर्ता यूपी से सियासी पारी शुरू करने जा रहे हैं। नड्डा से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व अमित शाह ने भी राष्ट्रीय नेतृत्व संभालने की शुरुआत यूपी से ही की थी।

वैसे तो नड्डा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर शुरू हो रहे उत्तर प्रदेश में जनजागरण की शुरुआत करने गाजियाबद आ चुके हैं। पर, तब वह भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष थे। देश के गृहमंत्री अमित शाह ही तब भाजपा के पूर्णकालिक निर्वाचित अध्यक्ष थे।

अब जब वह आगरा में रैली संबोधित करने आ रहे हैं तो वह पूर्णकालिक निर्वाचित अध्यक्ष हो चुके है। मतलब भाजपा संगठन का नेतृत्व पूरी तरह नड्डा के हाथ में आ चुका है। संयोग ही है कि कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उत्तर प्रदेश में सीएए के समर्थन में जनजागरण सभाओं की शुरुआत करने वाले नड्डा अब पूर्णकालिक अध्यक्ष के रूप में इस अभियान के तहत शुरू हुई सभाओं का समापन भी करेंगे। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में सीएए जनजागरण सभाओं के क्रम में  बृहस्पतिवार को आगरा में होने वाली रैली के साथ यूपी में इस मुद्दे पर भाजपा की बड़ी रैलियों का सिलसिला पूरा हो जाएगा।

इसलिए प्रदेश पर नजर
उत्तर प्रदेश की बड़ी आबादी और लोकसभा की यहां से 80 सीटें ही शायद वह महत्वपूर्ण वजह है जो हर नेता व पार्टी को यूपी के मैदान पर अपने पैर जमाने को आकर्षित करती है। तभी तो सियासत में यह कहावत आम है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। यह कहावत समय की कसौटी पर खरी उतरती भी दिखती है।

अपवाद छोड़ दें तो ज्यादातर मौकों पर दिल्ली में देश की सत्ता संभालने का मौका उसी को मिलता रहा है जिसे उत्तर प्रदेश ने आगे बढ़ाया व गले लगाया। शायद यही वजह है कि भाजपा का मौजूदा नेतृत्व भी किसी न किसी बहाने अपने रिश्तों को जोड़े रखकर इसके महत्व का संदेश बनाए रखना चाहता है। जिससे उत्तर प्रदेश के लोग भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करते रहे।
इस तरह साधे समीकरण
संघर्षों से जूझ रही भाजपा ने देश की सत्ता में वापसी के लिए 2013 में जब नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला उत्तर प्रदेश से ही किया। यहीं नहीं, उन्होंने उत्तर प्रदेश में जीत हासिल करने के लिए अपने विश्वसनीय सेनापति के रूप में अमित शाह को राष्ट्रीय महामंत्री केनाते प्रदेश का प्रभारी बनाकर सक्रिय किया। 

बतौर राष्ट्रीय महामंत्री संगठन काम करने के नाते उन्हें शायद यह पता था कि यूपी में भाजपा को 80 में ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलाए बगैर काम नहीं चलेगा। यही वजह है कि वह अक्सर न सिर्फ खुद को यूपी वाला व काशी वाला कहते है बल्कि इस प्रदेश के तमाम हिस्सों से अपना जुड़ाव बताते हैं। अमित शाह भी जब-तब यह कहना नहीं भूलते कि प्रभारी के तौर पर काम करने के कारण ही उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का सौभाग्य मिला। 

याद होगा कि भाजपा नेतृत्व ने लोकसभा के इस चुनाव में नड्डा को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी। अब उन्हें ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर मोदी व शाह की जोड़ी फिर साफ कर दिया है कि यूपी की अनदेखी नहीं होगी। नड्डा के लिए बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदेश के बारे में निर्णय लेने में चुनाव के दौरान प्रदेश घूमने का अनुभव काफी काम आएगा।


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