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Nirbhaya Case: माता-पिता ने फिर खटखटाया अदालत का दरवाजा, लगाई गुहार

निर्भया केस
 न्यूज डेस्क  आगरा मीडिया  ::.निर्भया के गुनहगारों की फांसी पर रोक की पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर केंद्र की याचिका के जल्द निपटारे के लिए मंगलवार को निर्भया के माता-पिता ने एक बार फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि केंद्र की याचिका जल्द निपटारा करें और दोषियों को जल्द फांसी हो। जस्टिस सुरेश कैत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए निर्भया के माता-पिता के वकील को यह आश्वासन दिया कि इस मामले में जल्द से जल्द आदेश पारित किया जाएगा। इस मामले की खास सुनवाई करते हुए रविवार को अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
रविवार की विशेष सुनवाई में क्या-क्या हुआ था
निर्भया के गुनहगारों की फांसी पर रोक के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट में रविवार को विशेष सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दोषियों को जल्द फांसी देने की अपील की।

अदालत में अपनी दलील देते हुए मेहता कहा था कि दोषी कानून की कमजोरी का फायदा उठाते हुए मामले को लंबा खींचते रहते हैं। तेलंगाना में डॉक्टर से दुष्कर्म के आरोपियों का जब एनकाउंटर हुआ तो लोगों ने इंसाफ के लिए ही इसका जश्न मनाया था, न कि पुलिस के लिए। हालांकि इससे गलत संदेश गया... न्यायपालिका की विश्वसनीयता और इसकी सजा देने की शक्ति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
मेहता ने कहा था, दोषी फांसी से बचने के लिए जानबूझकर याचिका देने में देरी कर रहे हैं। रणनीति के तहत दया याचिका और सुधारात्मक याचिका दायर नहीं कर रहे। गुनहगार देश के सब्र का इम्तिहान ले रहे हैं और यह न्याय प्रणाली से खिलवाड़ है। उन्होंने कहा, जिन दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं, उन्हें फांसी दी जा सकती है। ऐसा कोई नियम नहीं है कि चारों को फांसी एक साथ दी जाए। 

मेहता की दलील पर हाईकोर्ट के जज सुरेश कुमार कैत ने पूछा, अगर दोषी चार हैं और दो के कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं और दो के बचे हुए हैं तो क्या होगा? मेहता ने कहा, ऐसे में इन्हें फांसी दी जा सकती है। वहीं, दोषियों की वकील रेबेका जॉन ने कहा, दोषियों को मौत की सजा एकसाथ दी गई, तो फांसी भी एकसाथ दी जानी चाहिए।

केंद्र दोषियों पर देरी का आरोप लगा रहा है, जबकि वह खुद इस मामले में महज दो दिन पहले जागा है। दरअसल, केंद्र सरकार ने पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा निर्भया के दोषियों की 1 फरवरी को तय की गई फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। 
पहले कहा, सभी की अपील पर फैसला होने तक नहीं हो सकती फांसी
इससे पहले मेहता ने कहा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा जब तक एक ही अपराध में सभी दोषियों की अपील पर फैसला नहीं हो जाता, फांसी नहीं हो सकती है। हालांकि, गुनहगारों की अपील खारिज होने के बाद अलग-अलग फांसी हो सकती है। एक बार सुप्रीम कोर्ट दोषियों पर अंतिम फैसला सुना देता है तो उन्हें अलग-अलग फांसी दिए जाने में कोई बाधा नहीं है।

सिर्फ एसएलपी लंबित होने पर ही टल सकती है फांसी
दिल्ली जेल नियमावली-2018 के मुताबिक, यदि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) आती है तो यही एक अंतिम कानूनी उपचार है जो फांसी टाल सकता है। अगर किसी एक अपराधी की एसएलपी लंबित हो तो बाकी के दोषियों की फांसी भी स्थगित हो जाएगी। निचली अदालत ने इसी को आधार बनाते हुए सभी दोषियों की फांसी स्थगित कर दी। मेहता ने कहा हालांकि, यह नियम दया याचिका के संबंध में लागू नहीं होता है।



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